आज के इस पोस्ट में हम बात करेंगे म्यूच्यूअल फण्ड के नुकसान के बारे में I पिछले कुछ वर्षों में खासकर covid-19 के समय में सभी चीजें ऑनलाइन की और शिफ्ट हो गई सभी कोई ऑनलाइन ही काम करने लगे और सभी यही चाहते थे की उन्हें work from home job मिले वो ताकि घर बैठे पैसा कमा सके। बहुत से लोग ऐसे हैं जो ऑनलाइन पैसा कमाने के लिए निवेश कर के ऑनलाइन पैसा कमाने का जरिया चुना और इसी सिलसिले में वे लोग शेयर बाजार , म्यूच्यूअल फण्ड , गोल्ड , बांड्स आदि में निवेश करना शरू कर दिए।
यदि आप भी म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश कर के बहुत सारा पैसा कमाना चाहते हैं तो आप बिलकुल सही ब्लॉग पढ़ रहे हैं। पिछले पोस्ट में हमने म्यूच्यूअल फण्ड क्या है इसके बारे में बताया था। तो आज के इस ब्लॉग में म्यूच्यूअल फण्ड के नुकसान और फायदे के बारे में बात करेंगे। यदि आप भी म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करना चाहते हैं या निवेश करने के लिए सीखना चाहते हैं तो आपके मन में एक सवाल जरूर आ रहा होगा की म्यूच्यूअल फंड के नुकसान और फायदे क्या हैं ? यदि आप सीखना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को पूरा पढ़ना ही पड़ेगा। बिना पढ़े कोई ज्ञान नहीं होता है।
म्यूचुअल फंड के नुकसान | Mutual Fund ke Nuksan Hindi me
देखिये म्यूच्यूअल फण्ड के नुकसान और फायदे दोनों होते हैं। जिसके बारे में आपको पता होना जरुरी है। एक अच्छा और सफल निवेशक वही होते हैं जो चीजों को समझ कर निवेश करते हैं। म्यूच्यूअल फंड लोगो को निवेश के बदले रिटर्न तो देती है लेकिन शेयर बाजार से कम देती है और यदि गलत स्कीम का हाथ लग गए तो नुकसान होने का भी ज्यादा संभावनाएं होती है। इस लिए म्यूच्यूअल फण्ड को जोखिमों के अधीन माना जाता है। अतः म्यूच्यूअल फण्ड मे निवेश करने से पहले अपना खुद का रिसर्च जरूर करें।
1. म्यूच्यूअल फण्ड की खर्च
जब आप म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करते हैं तो आपको अपने रिटर्न का कुछ हिस्सा म्यूच्यूअल फण्ड को खर्च के रूप में देना पड़ता है। जिसे expense ratio कहा जाता है। यह एक्सपैंसे रेश्यो फण्ड हॉउस को देना पड़ता है। आप जो एक्सपेंस रेश्यो देते हैं उसी पैसे से म्यूच्यूअल फण्ड अपने फण्ड मैनेजर और कर्मचारियों को वेतन के रूप में देती है।
जितना ज्यादा समय के लिए निवेश हैं उतना ज्यादा एक्सपेंस रेश्यो देना पड़ता है। यदि आप इन खर्चों बचना चाहते हैं तो आप सीधे शेयर बाजार कर सकते हैं क्योंकि शेयर बाजार में म्यूच्यूअल फण्ड के अपेक्षा ज्यादा रिटर्न मिलता है। म्यूच्यूअल फण्ड में कम रिटर्न भी मिलता है और ज्यादा टैक्स भी देना पड़ता है।
2. अनिर्धारित रिटर्न
म्यूच्यूअल फण्ड में रिटर्न हमेसा कम और ज्यादा रहते हैं। इसमें रिटर्न निश्चित नहीं होती है क्योंकि म्यूच्यूअल फण्ड शेयर बाजार से जुड़ा हुआ है। शेयर बाजार में हमेसा उतार चढ़ाव होते हैं और शेयर बाजार में लिस्टेड कम्पन्यां के शेयर के भाव गिरते और चढ़ते रहते हैं। जिसके कारन म्यूच्यूअल फण्ड भी निवेशकों को कम रिटर्न देती है।
अतः म्यूच्यूअल फण्ड भी शेयर बाजार में ही निवेश करता है। इसलिए यह शेयर बाजार पर निर्भर करती है और अनिश्चित रिटर्न भी देती है
म्यूच्यूअल फण्ड में आपको किसी वर्ष ज्यादा रिटर्न मिलती है तो किसी वर्ष नुक्सान का भी सामना करना पड़ता है। यदि आप म्यूच्यूअल फण्ड में कम समय के लिए निवेश करते हैं तो नुकसान होने की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए यदि म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करना ही है तो लम्बे समय के लिए करें।
3. स्टॉक मार्केट के अपेक्षा कम रिटर्न
स्टॉक मार्केट के अपेक्षा म्यूच्यूअल फण्ड बहुत कम रिटर्न देती है। म्यूच्यूअल फण्ड खाश उन लोगो के लिए फायदेमंद है जिन्हे शेयर बाजार बारे में पूरी जानकारी नहीं है और वो निवेश करना हैं। म्यूच्यूअल फण्ड शेयर बाजार में निवेश करने का indirect माध्यम होता है इसलिए म्यूच्यूअल फण्ड में कम रिटर्न मिलते हैं जबकि शेयर बाजार में ज्यादा।
4. लॉक-इन-पीरियड का समय
लॉक इन पीरियड का मतलब होता है एक निश्चित समय के लिए SIP के जरिये अपना इन्सटॉलमेंट म्यूच्यूअल फण्ड में जमा करना। बहुत से म्यूच्यूअल फण्ड में लॉक इन पीरियड नहीं होती है लेकिन क्लोज एंडेड स्कीम और ELSS स्कीम में लॉक इन पीरियड होता है। ELSS में प्रतयेक SIP इन्सटॉलमेंट के लिए 3 वर्ष का लॉक इन पीरियड होता है। अतः आपको लॉक इन पीरियड में तभी पैसा लगाना चाहिए जब आपको उस लॉक इन पीरियड तक उस पैसे का जरुरत न पड़े।
5. गलत म्यूच्यूअल फंड स्किम का चुनाव करना
यदि आप किसी गलत म्यूचुअल फंड स्कीम का चुनाव करके निवेश करते हैं तो आपको नुकसान होने का बहुत ज्यादा संभावना बना रहता है । आप निवेश करने से पहले एक अच्छे स्कीम को चुने , जिसका पिछले सालों का परफॉर्मेंस अच्छा हो और वो ज्यादा रिटर्न दे रहा हो । वैसे म्यूचुअल फंड का चुनाव कर सकते हैं । वैसे स्कीम का चुनाव न करें जो आपके लक्ष्य और आवश्यकता के अनुसार न हो।
6. नियंत्रण की कमी
सभी म्यूचुअल फंड के पैसे को उसके फंड मैनेजर के द्वारा मैनेज किया जाता है जिसके साथ में और भी कई शेयर बाजार के एक्सपर्ट की टीम होती है । लेकिन टीम होने के बावजूद भी म्यूचुअल फंड में नुकसान होने के ज्यादा संभावना रहता है ।
निवेशक के पोर्टफोलियो को म्यूचुअल फंड के फंड मैनेजर के द्वारा मैनेज किया जाता है । इसमें निवेशक का कोई रोल नहीं होता है । सभी निर्णय फंड मैनेजर के द्वारा ही लिया जाता है जैसे कब खरीदना है, कब बेचना है इत्यादि । इसलिए आपका रिटर्न फंड मैनेजर के योग्यता पर निर्भर करता है ।
क्या म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए?
म्यूचुअल फंड में निवेश करना आपके उपर निर्भर करता है । यदि आपको शेयर बाजार के बारे में कोई जानकारी नहीं है तो आपको म्यूचुअल फंड में ही निवेश करना चाहिए । आपके लिए म्यूचुअल फंड ही सही रहेगा ।
यदि आप शेयर बाजार के निवेश करने के बारे में जानते है तो आपके लिए म्यूचुअल फंड सही विकल्प साबित नही होगा । क्योंकि म्यूचुअल फंड के अपेक्षा शेयर बाजार में आपको ज्यादा रिटर्न मिलता है ।
यदि आप म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं तो आपको एक अच्छी स्कीम का चुनाव करना चाहिए और जो ज्यादा रिटर्न दे रहा हो ।
म्यूचुअल फंड में आपको लंबे समय के लिए निवेश करना चाहिए । क्योंकि शॉर्ट टर्म में या तो नुकसान होगा या बहुत कम रिटर्न मिलेगा ।