यदि आप शेयर बाजार में निवेश करते है तो कभी न कभी IPO का जिक्र जरुर सुना ही होगा I बहुत सारी कम्पनीया समय – समय पर अपना IPO
शेयर बाजार में लॉंच करते रहती है और बहुत से लोग उस IPO में अपना पैसा लगाते रहते है अगर आप शेयर बाजार में नए है और आप भी IPO में पैसा लगाना चाहते है तो यहां जानिए आईपीओ से आप क्या समझते है और इसमें
निवेश करने का तरीका क्या है ?लेकिन आईपीओ के बारे में समझने से पहले एक बात बता देना चाहूंगा की यदि आप शेयर बाजार के बारे में सिखाना चाहते है तो इस
शेयर बाजार क्या है को क्लिक कर के सीख सकते है | क्योंकि बीते कुछ समय से शेयर बाजार में निवेश करने के लिए लोग काफी उत्सुकता है । बहुत से लोग शेयर बाजार में निवेश करके बेहतर मुनाफा कमाते हैं तो बहुत से लोगो को नुकसान भी हो जाता है । इसलिए शेयर बाजार को काफी रिस्की माना जाता है । अतः शेयर बाजार में निवेश करने से पहले इसके बारे में गहरा अध्ययन जरूर कर ले I
आईपीओ से आप क्या समझते है
आईपीओ का मतलब है Initial public offering जब कोई कंपनी पहली बार पब्लिक को अपने शेयर ऑफर करती है तो इसे IPO कहते हैं I देश में बहुत सारी प्रोइवेट कंपनियां काम कर रही है । इन कंपनियों को विकसित करने के लिए इन्हें पूंजी की जरूरत पड़ती है । पूंजी जुटाने के लिए ये कंपनी को शेयर बाजार में लिस्ट कराती है जिसे IPO कहा जाता है I
यानि initial public offeringशेयर मार्केट में आईपीओ का मतलब होता है “Initial Public Offering” यानि कंपनी द्वारा शेयर बाजार में पहली बार शेयरों की बिक्री। इसके जरिए कंपनी अपने शेयरों को शेयर बाजार में लाने के लिए लोगों को शेयर खरीदने का मौका देती है। यह एक ऐसा प्रक्रिया होता है जिसमें कंपनी द्वारा एक नियंत्रणीय संस्था के माध्यम से शेयर बाजार में शेयरों की बिक्री होती है।
आईपीओ के माध्यम से कंपनी अपने शेयरों के बाजार मूल्य के बारे में जानकारी देती है और जब लोग इन शेयरों को खरीदते हैं तो यह उन्हें कंपनी के साथ भागीदारी का मौका देते हैं। इस प्रक्रिया से शेयर बाजार में नई कंपनियों के लिए पूंजी उपलब्ध होती है जो अपनी व्यापक विस्तार की योजना के लिए इस्तेमाल की जाती है।
कोई भी कंपनी अपना IPO कब जारी करती है ।
जब कोई कंपनी अपने व्यापार को विकसित और विस्तार करना चाहती है तब उस कंपनी को विकसित करने के लिए बहुत सारा धन की जरूरत होती है । जितने धन की उस कंपनी को आवश्यकता है उतना धन कंपनी के पास नहीं है और यदि वह कंपनी बैंक से लोन (कर्ज) पर धन लेती है तो कंपनी को कर्ज का ब्याज प्रति वर्ष या प्रति माह बैंक को चुकाना होगा और साथ ही जितना धन बैंक से लिया गया है वो धन भी वापस जमा करना होता है ।
इसलिए कंपनी के पास पैसा लेने का एक ही तरीका बचता है और वो है प्राइवेट कंपनी को सार्वजनिक कंपनी बनाना । सार्वजनिक कंपनी बनाकर बहुत धन जमा कर के अपने बिज़नेस को विकसित करती है । किसी भी कंपनी को सीधा public से पैसा लेने के भारतीय शेयर बाजार में पंजीकरण Registration करना पड़ता है । इस प्रकार जब कोई कंपनी अपने शेयर के माध्यम से धन जुटाने के लिए भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में पहली बार अपना पंजीकरण करती है तो वह प्राथमिक बाजार में प्रवेश करती है ।
इस पूरी प्रक्रिया को प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) कहा जाता है । अब यह कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में पंजीकरण होने के बाद निजी कंपनी से सार्वजनिक कंपनी बन जाती है। अत: किसी भी कंपनी को भारतीय शेयर बाजार में लिस्ट में होने के लिए सबसे पहले IPO लाना पड़ता है I
IPO खरीदने वालों को कंपनी में होती है हिस्सेदारी ।
कंपनी के आईपीओ लाने के बाद बहुत से लोग उस कंपनी के आईपीओ को खरीदते हैं । कंपनी के आईपीओ खरीदते ही निवेशक को कंपनी में हिस्सेदारी हो जाती है । निवेशक जितना ज्यादा मात्रा में आईपीओ खरीदना है उतना ही ज्यादा भाग प्रतिशत का मालिकाना हक प्राप्त करता है उस कंपनी के आईपीओ को जितना निवेशक खरीदते हैं उन सभी निवेशकों को उस कंपनी में मालिकाना हक मिलता है । निवेशकों द्वारा प्राप्त किए गए फंड को कंपनी अपनी कंपनी की तरक्की और विकसित करने के काम में खर्च करती है । साथ ही वह कुछ अन्य काम में भी खर्च करती हैं ।
आईपीओ में कैसे निवेश करें ?
आईपीओ में निवेश करने के लिए आपके पास डिमैट अकाउंट का होना बहुत जरूरी है । डिमैट अकाउंट आप किसी भी ब्रोकर फर्म से खोल सकते हैं । आईपीओ जारी करने वाली कंपनी अपने निवेशकों के लिए 3-10 दिनों के लिए ऑफर देती है और इतने ही दिनों के अंदर सभी निवेशक को आईपीओ खरीदने के लिए अपना डिमैट अकाउंट खोले गए ब्रोकर फर्म की मदद से आईपीओ में निवेश करना होता है ।
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आईपीओ जारी करने की प्रक्रिया
अगर कोई भी कंपनी आईपीओ लाने का निर्णय करती है तो उसे मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के नियमों का पालन करना जरूरी होता है । इन सब नियमों पर खरा उतरने के लिए कंपनी एक मर्चेंट बैंकर नियुक्त करती है ये बेैंकर सेबी में रजिस्टर्ड होता है । और वही आईपीओ से जुड़े सारे दस्तावेज पूरे करके फिर IPO के लिए आवेदन करता है । आवेदन करते समय सेबी अपने पास कुछ दस्तावेज जमा करती है जिसे लोग Draft Red Herring Prospectus (DRHP) भी कहते हैं । किसी भी कंपनी के आईपीओ का DRHP में उस कंपनी के बारे में उसके शेयर धारक, उसकी वित्तीय जानकारी, उसके कानूनी नियम व शर्ते, उस कंपनी पर कितना कर्ज है, आईपीओ से मिलने वाले फंड को कहाँ कहाँ और किस लिए खर्च करना है और उसके कामकाज के बारे में जानकारी होता है I
सेबी के द्वारा कंपनी के DRHP को बारीकी से जांच किया जाता है । यदि कंपनी के द्वारा DRHP में दी गई दस्तावेज सही पाए जाते हैं तभी कंपनी को IPO लाने की अनुमति मिलती है I सेबी से IPO लाने की अनुमति मिलने के बाद कंपनी अपने शेयर के लिए बोलियां लगवाता है। इसमें अलग-अलग प्रकार के निवेशक को जैसे रिटेल निवेशक, इंस्टीट्यूशनल निवेशक के लिए अलग-अलग शेयर रिजर्व रखे जाते हैं। आईपीओ में शेयर अलॉट होते ही वे आमतौर पर NSE या BSE स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हो जाते हैं। जिसके बाद निवेशक इन शेयर की खरीद बिक्री करते है I